घर के आयने रुठ से गये । मेरी ही ऑखो मे मौत का डर दिखा रहे है।। माँ की आवज से आँखे हटने लगी तो। आयने भी डरकर मॉ का प्यार दिखा रहे है।। धुंधली हो गई सबकी बते। आँखो की नमी के सहारे बाते छुपा रहे है।। चलना भूल सा गया है वख्त। लोग हस तो रहे है,लेकिन खुस नही हो रहे है।। न जाने कितने चेहरे है लोगो के। लेकिन फिर भी ये रावढ़ नही बन पा रहे है।। #सहमा सा जा रहा हू