ज़िन्दगी के कशमकश में, हम कुछ ऐसे मशुगुल हो गए, दुसरों को सवारते, सवारते, अपने आप को भूल गए, ना ये कैसा ह्रदय पाया है मैने, जिनके चेहरे पे उदासी देखा, उनको किसी न किसी तरीके से हँसाया हैं मैंने, मुश्किल में पड़े लोगो को, सही राह दिखाया है मैंने, भूल गए लोग या बदल गए लोग, कोई बात नही, उनको भी मैने अपनी यादों मैं जिन्दा रखा है मैंने, हिचकियों के जरीये, अपनी मौजूदगी एवं याद का अहसास कराया है मैंने, स्वयं बीना बोले, तकलीफ़ मे पड़े अनजाने लोगो को भी सही मार्ग दिखाया है मैंने, जिस तकलीफ से मैं गुजर चूका, उसका आभाष भी नही कराया है मैंन, मुश्किलें भी आईं मेरे रास्ते में, आपकी आर्शीवाद, दुआ, मोहब्बत और ऊपर वाले की कृपा ने पार कराया है मुझको, ज़िन्दगी के कशमकश मे हम कुछ ऐसे मशुगुल होते गये। अनुकरण ज़िंदगी