जी करता है हरपल तेरे हूर जैसे नूर को निहारूं। निहारूं तेरे रज-रज को, निहारूं तेरे कण-कण को। तेरे सम्पूर्ण यौवन को अपनी स्मृतियों में बसा लूँ, तेरे बासंती चंचलता को अपने में सृजित कर, तेरे उन्मादी नखरों संग ये जीवन बिता दूँ। तेरे उन्मादी नखरों संग ये जीवन बिता दूँ।। तुझपे मैं अपना सम्पूर्ण लुटा के, जो हासिल हो उससे इक दुनिया बसा लूँ तेरे पास आ तुझे इतना निहारूँ, के तेरी मुस्कुराहट को हृदय में बसा लूँ तेरे सुनहरे स्वपनों के सहारे, इन गहरी रातों को बौना बना दूँ। इन गहरी रातों को बौना बना दूँ।। तेरे उन्मादी नखरों संग ये जीवन बिता दूँ ये जीवन बिता दूँ..... तेरे उन्मादी नखरे