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अब मैं शहरी हो रहा हूँ !!

अब  मैं  शहरी  हो  रहा हूँ  !!                                                                                                       छोड़ गाँव  का  सीधापन                                                                                                           नीति कुनीति को दिखा दर्पण                                                                                                   भुला प्यार मुहब्बत की बातें                                                                                                     सम्भाल कर अपनी जज्बातें                                                                                                   इस युग के  सभ्य समाज के                                                                                                     नवीन जड़ों का  प्रहड़ी हो रहा हूँ                                                                                                 अब मैं शहरी हो रहा हूँ  !!

 प्यार के बदले प्यार नहीं                                                                                                        सब से  मीठा बोलना                                                                                                                 किसी से कोई अब रार नहीं                                                                                                       दोस्ती यारी और अब स्वीकार नहीं                                                                                             काम निकलना  बस  जानु मैं                                                                                                    किसी को अपना ना मानु मैं                                                                                                      दिल पे अपने लगा  दरबाजे                                                                                                       झूठा प्यार संग में साजे                                                                                                             जीत हो पक्की जिसमे वो                                                                                                         खेल एकहरी हो रहा हूँ                                                                                                                अब मैं शहरी हो रहा हु  !!!

©Ranjesh Singh #meanworld #mean #life
अब  मैं  शहरी  हो  रहा हूँ  !!                                                                                                       छोड़ गाँव  का  सीधापन                                                                                                           नीति कुनीति को दिखा दर्पण                                                                                                   भुला प्यार मुहब्बत की बातें                                                                                                     सम्भाल कर अपनी जज्बातें                                                                                                   इस युग के  सभ्य समाज के                                                                                                     नवीन जड़ों का  प्रहड़ी हो रहा हूँ                                                                                                 अब मैं शहरी हो रहा हूँ  !!

 प्यार के बदले प्यार नहीं                                                                                                        सब से  मीठा बोलना                                                                                                                 किसी से कोई अब रार नहीं                                                                                                       दोस्ती यारी और अब स्वीकार नहीं                                                                                             काम निकलना  बस  जानु मैं                                                                                                    किसी को अपना ना मानु मैं                                                                                                      दिल पे अपने लगा  दरबाजे                                                                                                       झूठा प्यार संग में साजे                                                                                                             जीत हो पक्की जिसमे वो                                                                                                         खेल एकहरी हो रहा हूँ                                                                                                                अब मैं शहरी हो रहा हु  !!!

©Ranjesh Singh #meanworld #mean #life