देखथों जब कभू चांद ल तो, कभू तस्वीर तोर निहारत रहिथांव, जतका दफा देखथों मैं तोला, वोतका बार तोर पे दिल हार जाथों मैं, जावत हे तोर तक बात मोर, कभू कभू ये सोच के खुद से ही बात करे बर बईठ जाथों मैं, जो कुछ भी तोर सामने नई बोल पांव मैं वो सब आसानी से बोल जाथों मैं, जीये हो कभू ख़ाब म तोला, त कभू तोर ख़्याल म तन्हा रात गुजरथों मैं, तोर सुरता म कभू बिखर जाथों मैं त कभू तोर बर खुद ल संवार लेथों मैं, तोला हे खबर या नई हे, हर लम्हा बस तोरेच नाम पुकार लेथों मैं ।।। छत्तीसगढ़ी #gazal देखथों जब #कभू चांद ल तो, कभू तस्वीर तोर #निहारत #रहिथांव, #chhattisgarh #chhattisgarhi #poetry