मैं तुमसे मिलना चाहती हूं... तुम्हें देखना चाहती हूं... तुम्हारे सामने बैठना चाहती हूं... और तुम्हारी आंखों में आंखें डालकर ये कहना चाहती हूं... कि तुम्हारा आना मेरे जीवन के लिए एक "वरदान" था... तुम्हारा आना, मेरे लिए मेरी ख़ुद से पहचान था... भूल चुकी थी ख़ुद को कि, मैं कौन हूं! पर तुमने आकार मुझे ये याद दिलाया कि "मैं" सिर्फ "मैं" हूं कोई और नहीं हूं... "चेतना विनय तिवारी" ३०-१०-२०२३ ©Chetna Vinay Tiwari #ThankQ soooooo much #प्यार भरा प्रयास