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कभी आंसू तो कभी मुस्कान मोती बन बिखेरे रख दूं इन

कभी आंसू तो कभी मुस्कान 
मोती बन बिखेरे
 रख दूं इन्हे सिप में संभालकर
और मैं समंदर बन जाऊ
गहरा गहरा,
जब तुम आओगे मेरे किनारे
तो ना मालूम
कौनसा सिप पहले खुलेगा





kabhi ansu to kabhi muskan
moti ban bikhere
rakh du inhe sip mei sambhalkar
aur mei samander ban jau
gahara gahara,
jab tum aaoge mere kinare
to na malum
kaunsa sip pahle khulega

©Krishna #सिप..✍️
कभी आंसू तो कभी मुस्कान 
मोती बन बिखेरे
 रख दूं इन्हे सिप में संभालकर
और मैं समंदर बन जाऊ
गहरा गहरा,
जब तुम आओगे मेरे किनारे
तो ना मालूम
कौनसा सिप पहले खुलेगा





kabhi ansu to kabhi muskan
moti ban bikhere
rakh du inhe sip mei sambhalkar
aur mei samander ban jau
gahara gahara,
jab tum aaoge mere kinare
to na malum
kaunsa sip pahle khulega

©Krishna #सिप..✍️