शैतानियाँ बचपन की वो शोखियाँ बचपन की क्या याद है तुम्हे वो नादानियाँ बचपन की न था कोई ग़म का स्वाद, न थी कोई चिंता मौज थी हर दम ख़ूब थी रानाइयाँ बचपन की कागज़ की वो कश्ती और बारिश का पानी खिलौनों में बसती थी आशनाईयाँ बचपन की रूठना था घड़ी घड़ी, ज़िद थी हर बात की नहीं भूलूँगा मैं वो मनमर्ज़ीयाँ बचपन की 'सफ़र' न हो पत्थर दिल इस संगदिल दुन्या में करले दोबारा थोड़ी सी, वो शैतानियाँ बचपन की रानाइयाँ- चमक, खूबसूरती आशनाईयाँ- प्रेम, लगाओ, संगदिल- अत्याचारी ♥️ Challenge-594 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :)