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हम भी नज़रें मिला लेते उठी उंगलियों से ना दबती ज़ु

हम भी नज़रें मिला लेते
उठी उंगलियों से ना दबती ज़ुबान
हम भी ज़ोर से दहाड़ लेते..! नमस्ते लेखकों।
कोलाब करे Pen n Popcorn के साथ और जोड़े अपने शब्द हमारे शब्दों में। 
यह पंक्ति "महादेवी वर्मा " की निम्नलिखित कविता से ली गई है ।
जो तुम आ जाते एक बार

कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार तार
हम भी नज़रें मिला लेते
उठी उंगलियों से ना दबती ज़ुबान
हम भी ज़ोर से दहाड़ लेते..! नमस्ते लेखकों।
कोलाब करे Pen n Popcorn के साथ और जोड़े अपने शब्द हमारे शब्दों में। 
यह पंक्ति "महादेवी वर्मा " की निम्नलिखित कविता से ली गई है ।
जो तुम आ जाते एक बार

कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार तार