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# अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न र | English Shayar

अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई
और बिखर जाऊँ तो मुझ को न समेटे कोई

काँप उठती हूँ मैं ये सोच के तन्हाई में
मेरे चेहरे पे तिरा नाम न पढ़ ले कोई

जिस तरह ख़्वाब मिरे हो गए रेज़ा रेज़ा
उस तरह से न कभी टूट के बिखरे कोई

अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई और बिखर जाऊँ तो मुझ को न समेटे कोई काँप उठती हूँ मैं ये सोच के तन्हाई में मेरे चेहरे पे तिरा नाम न पढ़ ले कोई जिस तरह ख़्वाब मिरे हो गए रेज़ा रेज़ा उस तरह से न कभी टूट के बिखरे कोई #Shayari #prveenshakir #EklakhAnsari

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