पूर्व जन्म का सन्यासी,तप त्याग समर्पण सीखा था मैं रुद्र साधना में,अबोध,मन से शिशु सरीखा था सत्कर्म हरे परहित कहकर,मैं छल प्रपंच से छला गया वह बना स्वर्ग का अधिनायक,मैं सबकी सुधि से चला गया फिर आज धरा पर लौटा हूँ,तप होगा त्याग नहीं होगा मैं खंड खंड कर दूंगा स्वर्ग,जब तक संभाग नही होगा मैं भी सत्ता पर बैठूँगा,सब इंद्र उतारे जाएंगे अन्यथा साधनारत साधु, छल-बल से मारे जाएँगे मैं इस कलयुग का दधीचि ,मेरा बलिदान नही होगा इस बार पुरंदर वज़्र बनेगा,अस्थि दान नही होगा :/शंकर (@Shankarsinghrai) #दधीचि ©Shankar Singh Rai #poetryUnplugged #जिल्दसाज़ी #दधीचि #poetryunplugged #FarmBill2020 #BoneFire