White कुछ देर रुका फिर सोचा कितनी बड़ी है जीवन की उलझन कैसा घमंड कैसा लालच क्या तूने कमाया उस पर मत कर नाज सब कुछ यहा छोड़कर जाना है वो भी खाली हाथ खुशी जो मिलती है छोटे पलो में उसे संभाल कर रखना है मुस्कान तेरे चेहरे की हज़ार लाखो से जुड़ी है कुछ ना मिले ना सोने की बात हीरे की बात बस हो जो दिल को लुभाए गुप्तगू अपनेपन की मिले पल ऐसे सुकुन के और कुछ ना चाहे चल दिया मै उस रास्ते पर जहाँ हो मेरा बस पर क्या करे दुनिया मेरी गम के किनारे से जुड़ी है मिले मुझे कभी कभी खुशियों की लहरे ये उम्मीद सी जगी है शायद हो वो पूरी. ©Shayari by Sanjay T #lifeshayari #sahayaribysanjayt