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मुद्दतो बाद मिले हो,जरा लबो का एस्तेमाल तो करो र

मुद्दतो  बाद  मिले हो,जरा लबो का एस्तेमाल तो करो
रीते से मेरे मन  के प्याले  मे अपने शब्दोँ  का शहद तो भरो।
पथरायी  आँखो  के  जाले  धुल  जाए शायद, कुछ बुंदे  इन आँखो से बह जाए शायद।
पथरीला ये मन  का आँगन ,फिर  उम्मीदों  का उपवन बन जाए  शायद।
फिर फुल खिले आशाओं के फिर कोई  सपना जग जाए  शायद। #आशाएं #
मुद्दतो  बाद  मिले हो,जरा लबो का एस्तेमाल तो करो
रीते से मेरे मन  के प्याले  मे अपने शब्दोँ  का शहद तो भरो।
पथरायी  आँखो  के  जाले  धुल  जाए शायद, कुछ बुंदे  इन आँखो से बह जाए शायद।
पथरीला ये मन  का आँगन ,फिर  उम्मीदों  का उपवन बन जाए  शायद।
फिर फुल खिले आशाओं के फिर कोई  सपना जग जाए  शायद। #आशाएं #