वर्चस्व के युद्ध में मानव न मानव रहा दावानल की चिंगारी लिए हर पल लड़ रहा, सत्ता और शक्ति पर इतिहास रच रहा अतीत की नींव है रक्तरंजित ये ध्यान न रहा, निर्ममता, वीभत्सता के दृश्य चहुँओर करूणा की चीत्कार को अनसुना कर रहा, ये कौन सी सभ्यता का संघर्ष चल रहा मृत्युरथ पर सवार हर कोई काल बन रहा, वसुधैव कटुम्बकम की इस धरा पे निज स्वार्थ की पूर्ति मे समाज घुल रहा, कल तलवार थी संहार को आज कुछ और वर्चस्व के युद्ध में मानव न मानव रहा।। #fourtytwoqoute #hindi #humanity #war #enemy #killing #life #hate