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थोड़ी आँख मिल जायेगी क्या तुम्हे छुपाने को आगे नज़

थोड़ी आँख मिल जायेगी क्या तुम्हे छुपाने को
आगे नज़र नही मिलेगी  किसी को दिखाने को
कितनी खबरे और बिकेंगी
उसी पुराने मयखाने को
आज फिर एक बेटी की को मारकर
कोनसी शर्म है बताने को
कितनी निर्भया और बनेगी कितनी दरिंदगी और करोगे
खुद को जानवर कहलाने को

©साहिर #Hathras
थोड़ी आँख मिल जायेगी क्या तुम्हे छुपाने को
आगे नज़र नही मिलेगी  किसी को दिखाने को
कितनी खबरे और बिकेंगी
उसी पुराने मयखाने को
आज फिर एक बेटी की को मारकर
कोनसी शर्म है बताने को
कितनी निर्भया और बनेगी कितनी दरिंदगी और करोगे
खुद को जानवर कहलाने को

©साहिर #Hathras