थोड़ी आँख मिल जायेगी क्या तुम्हे छुपाने को आगे नज़र नही मिलेगी किसी को दिखाने को कितनी खबरे और बिकेंगी उसी पुराने मयखाने को आज फिर एक बेटी की को मारकर कोनसी शर्म है बताने को कितनी निर्भया और बनेगी कितनी दरिंदगी और करोगे खुद को जानवर कहलाने को ©साहिर #Hathras