बिरहगीत ---------- अब आन मिलो गिरधारी मेरी उमर बीत रही सारी... रख लाज बचा ले प्रीत मेरी मनमोहन मानी जीत तेरी यह प्रेम पुजारिन हारी अब आन मिलो गिरधारी.. ऐसे जो छोड़ के जाओगे वापस घर लौट न पाओगे मर जाये बिरह की मारी अब आन मिलो गिरधारी.. अँखियों की प्यास बुझा जाओ पल दो पल को ही आ जाओ तुम पर बिरहन बलिहारी अब आन मिलो गिरधारी.. ©अज्ञात #कान्हा