*घर की एकता* एक तरफ महारानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगना हुईं भारत में जो तलवार चलातीं थी देश में एका रखने के लिए और एक तरफ आजकल की कुछ महिलाएँ हैं जो तलवार से भी तेज जुबान चलातीं हैं अपने ही घर-परिवार की एकता भंग करने के लिए ... ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि अधिकांश घरों में लड़ाई की वजह महिलाएं ही होती हैं टुच्ची सी बात पर लड़ लेतीं हैं ,, इनने दाल ज्यादा खाली , हमें चटनी नहीं मिली, देवरानी काम नहीं करती, जेठानी खाना छिपाती है , बेड़ा गर्ग कर देतीं हैं जरा सी बात पर अपने ही घर संसार का , अरे घर कितना ही बड़ा हो ,जब तक चार लोग नहीं बसते खंडहर ही रहता है , इतना भी नहीं समझतीं , और इनके पति देव भी महामूर्ख होते हैं जो इनकी बातों में आकर अपने ही भाई-भतीजों से बैर पाल लेते हैं , जिनके साथ बचपन गुजारा ,जिनको गोदी में खिलाया उनको ही घर से निकाल देते हैं । समझ में नहीं आता क्यों अपनी ही पत्नी को क्यों कलंक लगवाते हैं कि उसके आते ही पूरा परिवार तहस-नहस हो गया , उसके कदम मनहूस निकले , आजकल की कुछ लाड़ली लक्ष्मियाँ ऐसी ही हैं जो निहायती बेवकूफ हैं अपने ही घर में आग लगातीं हैं । महाभारत का अड्डा बना कर रखा है घर को, अगर ये चाहें तो घर स्वर्ग बन सकता है , प्यार का मंदिर बन सकता है । तो देवियो करबद्ध निवेदन है अपने घर परिवार को स्वर्ग बनाओ , रिश्तों को निस्वार्थ प्रेम से सींचो , और घरवालों के सुख का कारण बनो । *घर की रौनक बनो दीमक नहीं* लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान © सागर मध्यप्रदेश ( 17 जून 2022 ) ©Pratibha Dwivedi urf muskan #घरकीएकता #घरकीलक्ष्मी #प्रतिभा #प्रतिभाउवाच #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #नोजोटो #नोजोटोराइटर्स