एक सपने की तरह तुझे सज़ा के रखूं, चाँदनी रात की नज़रों से छूपा के रखूं, मेरी तक़दीर में तुम्हारा साथ नही, वरना सारी उमर तुम्हें अपना बना के रखूं... {Vikas Shakya}