जैसे तुम बदलने लगे हो अगर वैसे ही मैं बदलूं तो तुम्हें कैसा लगेगा... जैसे तुम बरग़स्ता करने लगे हो अगर वैसे ही मैं करने लगूं तो तुम्हें कैसा लगेगा... हाँ जानती हूँ कि तुम्हारे दिल में कोई और बसा है मगर वैसे ही तुम्हारे सिवा, मैं दिल में किसी और को रखूँ तो तुम्हें कैसा लगेगा... जैसे तुम दूसरे के लिए लिखते हो अगर वैसे ही मैं लिखने लगूं तो तुम्हें कैसा लगेगा... जैसे तुम मेरे वादे तोड़,गैरो के निभाते हो अगर वैसे ही में तोड़ने और निभाने लगूँ तो तुम्हें कैसा लगेगा... हाँ जानती हूँ कि तुम्हारी नज़रों में कोई और बसा है मगर वैसे ही तुम्हारे सिवा, मैं किसी और को बसा लूँ तो तुम्हें कैसा लगेगा... Thanks for missing me and my poetry 🤗🤗🤗🤗🤗 Lalitha Sai diduu Kuku jiji maa Deepali diduu Subhi thakur Abhinav bhaiya