कहते नहीं बनता कभी-कभी... मन को किसी के सामने खोलते नहीं बनता... उमड़ते "विचार प्रवाह" को रोकते नहीं बनता... वाणी द्वारा भावनाओं को प्रकट करते नहीं बनता... घुमड़ते भावों को अश्रु रूप बहने से थामते नहीं बनता... खुद को संयत रख देख-सुन सबकुछ सहते नहीं बनता......! मुनेश शर्मा (मेरी✍️)🌈27 कहते नहीं बनता इसलिए हमने चुप ओढ़ ली। #कहतेनहींबनता #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi