चाहतों में आज़ादी मुमकिन है रोज़ मिलना-मिलाना मुमकिन है तेरा रंग चढ़ रहा है मुझपे बाली उमरिया तू कमसिन है दिल पर मेरे बस हक़ है तेरा मेरे दिल की तू मालकिन है दुनिया की कोई ख़बर नहीं मुझको तेरा ही ख़याल रात-दिन है नहीं जाना मुझे जन्नत की ओर अगर वो 'सफ़र' तुझ-बिन है ♥️ Challenge-626 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।