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अब रात का घूँघट भी हम ही उठाए क्या चाँद का दिया भी

अब रात का घूँघट भी हम ही उठाए क्या
चाँद का दिया भी हम ही जलाए क्या
आकाश के बिस्तर पर बिखरे तारों के फूल
सपनों संग सुहागरात हम ही  मनाए क्या

©भारती नेगी 'bhanu'
  #Rat #रात #Chand #चाँद