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ये कविता मैने 1990 में लिखी थी,होस्टल का पहला दिन था,जो लोग नए आए थे,उन्हें यूं ही मौज-मस्ती के मकसद से एकत्रित किया गया
सबको अपने-अपने शौक बताने थे. जब उन्हें पता चला कि मैं कविता लिखती हूं तो उन्होंने मुझे इश्क पर कविता लिखने को कहा. साथ में यह चेतावनी भी दी कि हमारे नाम भी याद रखने हैं.
एक ने अपना नाम नपतुल्ला बताया तो दूसरी ने डबलरोटी. मैं ये दोनों नाम आपको इसलिए बता रही हूं क्योंकि दोनों का नाम इस कविता में है
जब इश्क करनेमैं चली.....