एक बनारसी प्रेमिका अपने प्रियतम से - चल मेरे साथ तुझे बनारस की सैर कराते हैं , शमशान की जलती बुझती राख मलकर चल साथ में धूनी रमाते हैं । घाट की सीढ़ियों पर बैठकर चल मन का मंजीरा बजाते हैं, ठहर तो जरा देख ......वो ढलता हुआ सूरज कैसे लहरों को अपने ओर लिए जा रहा है ....इसी तरह चल तुझे भी अपनी ओर लिए जाते हैं । तन बनारस... मेरा मन भी बनारस... पान, चाय ,चिल्लम और तुम .....बस और क्या चाहिए मुझे ....चल इसी खुशी में धुआँ उड़ाते हैं । आज की शाम सुहागन और रात बंजारन है चल ना इश्क़ का जाम चढ़ाते हैं । #बनारसी इश्क़