बेगुनाहों की साँसो का जैसे कोई मोल ना रहा थामी थी जिसने डोर जीवन की उससे आज ये काल जीत गया आज एक और हृदय विदारक दुर्घटना में बीस से अधिक मज़दूरों के प्राणों की क्षति हुई। कभी-कभी जीवन की अनिश्चितता मन को ग्रसित कर देती है। अनहोनी की यह मार अभावग्रस्त सामान्य नागरिकों पर ही क्यों पड़ती है? #अनहोनी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi