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बेगुनाहों की साँसो का जैसे कोई मोल ना रहा थामी थी

बेगुनाहों की साँसो का जैसे कोई मोल ना रहा
थामी थी जिसने डोर जीवन की
उससे आज ये काल जीत गया आज एक और हृदय विदारक दुर्घटना में बीस से अधिक मज़दूरों के प्राणों की क्षति हुई। कभी-कभी जीवन की अनिश्चितता मन को ग्रसित कर देती है। अनहोनी की यह मार अभावग्रस्त सामान्य नागरिकों पर ही क्यों पड़ती है?
#अनहोनी #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
बेगुनाहों की साँसो का जैसे कोई मोल ना रहा
थामी थी जिसने डोर जीवन की
उससे आज ये काल जीत गया आज एक और हृदय विदारक दुर्घटना में बीस से अधिक मज़दूरों के प्राणों की क्षति हुई। कभी-कभी जीवन की अनिश्चितता मन को ग्रसित कर देती है। अनहोनी की यह मार अभावग्रस्त सामान्य नागरिकों पर ही क्यों पड़ती है?
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ilashukla8983

Ila Shukla

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