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बुझते दिये सा जल रहा हैं इश्क तेरा, हवावो के झोको

बुझते दिये सा जल रहा हैं इश्क तेरा,
हवावो के झोको से अढ़ रहा है इश्क मेरा,

चिराग तलक अब बस अन्धेरा है बाकी,
उस अन्धेरे को देख क्यो धधक रहा है इश्क तेरा,

।।बुझते दिये सा जल रहा  है अब इश्क मेरा।।

।।सन्देश सिंह।। अन्धेरा
बुझते दिये सा जल रहा हैं इश्क तेरा,
हवावो के झोको से अढ़ रहा है इश्क मेरा,

चिराग तलक अब बस अन्धेरा है बाकी,
उस अन्धेरे को देख क्यो धधक रहा है इश्क तेरा,

।।बुझते दिये सा जल रहा  है अब इश्क मेरा।।

।।सन्देश सिंह।। अन्धेरा
sksingh4812

sk singh

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