किसी माथे को चूमना ईश्वर के मन को स्पर्श करने जैसा है जहां सिर्फ़ पवित्रता और प्रेम निवास करता है। बस प्रेम....! ~© Anjali Rai— % & नायक जानते हैं कि उनकी प्रतीक्षित विराहिणी की देह से कहीं अधिक तपा होगा उसका अंतर्मन इसलिए वो प्रेम का प्रथमाक्षर होंठों पर नहीं अपितु माथे पर रखते हैं