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चाँद से जब- जब पूछा है अपने महबूब का नाम, कहा उ

चाँद से  जब- जब पूछा है  अपने महबूब  का नाम,
कहा उसने वही जो तेरे दिल में रहता है सुबह शाम।
धड़कता रहता है  जिसकी धड़कनों  से तेरा ये दिल,
बहुत ख़ासमख़ास है  वो समझ ना  तू उसको आम।

तो क्या  हुआ जो बनवा नहीं  सकता वो ताजमहल,
उसके दिल  के महल  में तू ही  तो रहती है हर पल।
तेरी ही  तरह उसका  दिल भी है  तेरे लिए  बेकरार,
थाम के हाथ उसका तू ही करदे मोहब्बत की पहल।

तुम दोनों  की मोहब्बत का  रहूँगा मैं हमेशा  गवाह,
मोहब्बत करना इबादत है नहीं होता है कोई गुनाह।
बिना डरे  इन राहों  पर अपने  क़दम  बढ़ाओ  तुम,
सदाकत है मोहब्बत में तो मिलेगी ख़ुदा की पनाह।

©Manpreet Gurjar #Apocalypse