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वो हैं की चले गए, मुझे पता नहीं.. गैरों की चालाकि

वो हैं की चले गए, मुझे पता नहीं.. 
गैरों की चालाकियों का पता हैं, मेरे अपने कितने हैं मासूम पता नहीं.. 
चल पड़ा हूँ जो अब रहगुज़र पर, इल्म है की बहुत लम्बी होगी.. सुना है राह में नीम के पेड़ भी है ठंडक के लिए, पर वो हैं की कट गए  पता नहीं.. 
तमाम रात जो बीती हैं जहनशीब की यादों में, उसने मुझे एक पहर भी याद किया पता नहीं... 
इश्क़ की इबारत लिखने की वायदे बड़े हक़ से किये थे उसने, कोरे कागज़ पर कलम चलाई पता नहीं... 
हाथ में दिया लेकर मेरा खत पढ़ रहे थे वो.. दीए ने घर रौशन की या मेरी मोहब्बत जलाई पता नहीं... #पतानहीं #शायरीदिलसे
वो हैं की चले गए, मुझे पता नहीं.. 
गैरों की चालाकियों का पता हैं, मेरे अपने कितने हैं मासूम पता नहीं.. 
चल पड़ा हूँ जो अब रहगुज़र पर, इल्म है की बहुत लम्बी होगी.. सुना है राह में नीम के पेड़ भी है ठंडक के लिए, पर वो हैं की कट गए  पता नहीं.. 
तमाम रात जो बीती हैं जहनशीब की यादों में, उसने मुझे एक पहर भी याद किया पता नहीं... 
इश्क़ की इबारत लिखने की वायदे बड़े हक़ से किये थे उसने, कोरे कागज़ पर कलम चलाई पता नहीं... 
हाथ में दिया लेकर मेरा खत पढ़ रहे थे वो.. दीए ने घर रौशन की या मेरी मोहब्बत जलाई पता नहीं... #पतानहीं #शायरीदिलसे