"शक़्ल कैसी भी हो...दिल मे चराग़ जलने दो ख़ुदा के दर पे दिखाबे का काम थोड़ी है मैन भी कलम से, उस रब की इबादत की है किसी के बाप का आला मक़ाम थोड़ी है" रचनाकार- कुमार आदित्य "लाला" भावपूर्ण श्रद्धांजलि #RIPRahatIndori