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सुनो #मेरीजानज़िन्दगी तुम्हारे लिए .... मेरे अश्र

सुनो #मेरीजानज़िन्दगी तुम्हारे लिए ....

मेरे अश्रुओं को न भुला सकोगे कभी,
क्या क़र्ज़ उतार उनका सकोगे कभी ।
जिस तरह मैंने निभाया रिश्ता तुमसे,
क्या तुम भी वैसे निभा सकोगे कभी ।
मैंने माँगा मन्नतों में बस तेरी ही ख़ुशी,
क्या मुझे हक़ मेरा दिला सकोगे कभी ।
मेरी दुआओं के बदले मेरे लिए इक बार, 
क्या सिर सज़दे में झुका सकोगे कभी ।
मेरी वफ़ाओं का मोल नहीं समझा तूने,
क्या मेरे टूटे ख़्वाब लौटा सकोगे कभी ।
रब से की हैं जो मिन्नते तुम्हें पाने की मैंने, 
क्या ख़ुद को तुम मेरा बना सकोगे कभी ।
दिया है मैंने भी तुम्हें मोहब्बतों का तोहफ़ा, 
क्या यादों की 'रेखा' को मिटा सकोगे कभी ।

©Rekha Srivastava एक गुज़ारिश 🌹💕🌹
सुनो #मेरीजानज़िन्दगी तुम्हारे लिए ....

मेरे अश्रुओं को न भुला सकोगे कभी,
क्या क़र्ज़ उतार उनका सकोगे कभी ।
जिस तरह मैंने निभाया रिश्ता तुमसे,
क्या तुम भी वैसे निभा सकोगे कभी ।
मैंने माँगा मन्नतों में बस तेरी ही ख़ुशी,
क्या मुझे हक़ मेरा दिला सकोगे कभी ।
मेरी दुआओं के बदले मेरे लिए इक बार, 
क्या सिर सज़दे में झुका सकोगे कभी ।
मेरी वफ़ाओं का मोल नहीं समझा तूने,
क्या मेरे टूटे ख़्वाब लौटा सकोगे कभी ।
रब से की हैं जो मिन्नते तुम्हें पाने की मैंने, 
क्या ख़ुद को तुम मेरा बना सकोगे कभी ।
दिया है मैंने भी तुम्हें मोहब्बतों का तोहफ़ा, 
क्या यादों की 'रेखा' को मिटा सकोगे कभी ।

©Rekha Srivastava एक गुज़ारिश 🌹💕🌹