तोरी नजर पिचकारी से हाय बलम मैं लाल भई ढीली पड़ी मोरी करधनी ऊपर ऊपर साँस चढ़ी भंग में डूबी तोरी अँखिया इन अखियन संग खूब लड़ीं अंग अंग हरियाये गवा जइसे सिल पे पिसी भंग गई छेड़ें सखियाँ पूछें कलमुँही चुनरी तोरी कहाँ गई तीर के जैसे देखे देवर हाय देह मोरी कमान भई मैदा जइसी गोरी चिट्टी तुम्हरी नजर मा भूनी गई तोरी मीठी बातन के खोओ से गुझिया जइसी भरी भीजत भीजत ताप चढ़ो लावो ठंडाई थोड़ी पीई तोरे रंग में रंग के सजन जी मैं भी अब रंगीन भई रास में तोरे रास बिहारी लोक लाज सब भुलाई दई अंग लगी यों तुझसे जइसे सागर द्वारका समाई गई #शगुन_फागुन_का #Love #nojoto #poetry #kavysala #Life