निगाहें हज़ारों गम हजारों खुशियां छुपी रहती हैं इस निगाहों मैं l लबज़ के सारे बातें कभी कभी बयां होते हैं निगाहों से l यह निगाहों के खेल को यूँ ही कई समझ ही नही पाता है l क्यूँ की यह निगाहें है जनाब इसके इशारों को तो कई आपना ही समझ सकता है l ©Anu Dey निगाहें