#OpenPoetry ये हम औरतो की आवाज है, हम जूती नहीं हैं पैर की, हम तुम्हारे सिर का ताज हैं, ये हम औरतो की आवाज हैं। सुबह से शाम तक चलती रहती हू, पति की क्रोध की आग मे जलती रहती हू, हमे चाहिए बर्बाद हुआ हमारा कल और आज है, ये हम औरतो की आवाज है, बेटी होने पर बेटी को बोझ समझते हो, बेटो कि सरारत को अपना ओज समझते हो, बदलना होगा हमे ये जो दोगला रिवाज है, ये हम औरतो की आवाज है । परिवार के हरेक परेशानी को पल भर मे हल करती हू, करके सबके कामो को इज्ज़त के लिए हर पल मरती हू, परिवार को सुन्दर बनाने का हम एक अमूल्य साज है, ये हम औरतो की आवाज है । पाने को सम्मान अपना हर दम कोशिश अब करनी है, चाहे कितनी करे कोशिशे हौसले तोड़ने की पंखो मे उडान भरनी है, अपना अधिकार मांगना नही छिनना है, क्योंकि ये पुरूष प्रधान समाज है, ये हम औरतो की आवाज है । s.k. #openpoetry