"अभिव्यक्ति - 3" // क़ैद // पर्दे में क़ैद, एक मासूम, औरत की रिहाई, बस जकड़ी हुई जंजीरें, हाथों की हथकड़ियाँ, मात्र से बयां नहीं हो सकती । उसकी घुटन, उसकी तड़प, रिहाई की आस, कुछ लफ़्ज़ों में बयां न हो पायेगी । क्या कभी कोई समझ पायेगा !! उस मासूम की दर्द में लिपटी हुई सिसकियाँ, उस पर होती हुई तल्ख़ियाँ, उनकी उपेक्षाएँ, कुछ लफ़्ज़ों में बयां न हो पायेगी । क्या कभी कोई समझ पायेगा !! अपने ही घरौंदे में छटपटाती मासूम , आबरू खोती है, रो -रोकर , नोंचते रहते है गिद्ध, निडर हो कर । उस मासूम के आँसु , उसकी बेबसी, उसकी तड़प, उसकी सिसकियाँ, उसका लुटा जिस्म, वो बदनुमा दाग़, वो लूटी बची सी ज़िन्दगी..!! क्या इन कुछ लफ़्ज़ों में बयां हो पायेगी ? क्या कभी कोई समझ पायेगा....! ! #सुचितापाण्डेय #अभिव्यक्ति_3 #औरत #pnpabhivyakti3 #pnphindi #pennpopcorn #yqbaba #pnpabhivyakti "अभिव्यक्ति - 3" // क़ैद // पर्दे में क़ैद, एक मासूम, औरत की रिहाई, बस जकड़ी हुई जंजीरें, हाथों की हथकड़ियाँ, मात्र से बयां नहीं हो सकती । उसकी घुटन, उसकी तड़प, रिहाई की आस,