मुझमें अभी हुनर और शफा बाकी है आग बुझ गई मगर धुआं बाकी है चुप रहता हूँ अब शोरोगुल नहीं करता अभी मेरी आँखों में हया बाकी है लोग कहते हैं अदा पसंद हूँ मैं अभी मुझमें खुद्दारी और अन्नाह बाकी है अभी तरकश में तीर और भी है कांपते हाथों में अभी कमां बाकी है लोग कहते हैं गुज़रा वक्त हूँ मैं मेरे हाथों में अभी मोजज़ा बाकी है वक्त के हाथों अभी नहीं मिटने वाला अभी समर पर रहमते खुदा बाकी है #DPF dedicated to all senior citizens