कोई भी परिणाम अंतिम नहीं होता और आपके साथ क्या होता है इससे ज्यादा फ़र्क नहीं पड़ता असल फ़र्क तो इस बात से पड़ता है कि आप उसके बाद क्या सोचते और करते हैं । हालांकि बुरे वक़्त में अच्छाई खोजना कठिन होता है लेकिन जिन्होंने खोजी वे असाधारण हो गए स्वयं का निर्णय स्वयं का परिणाम