Nojoto: Largest Storytelling Platform

कौन समझता यहां किसी इंसान का दुख। सबको सिर्फ बतान

कौन समझता यहां किसी इंसान का दुख।

सबको सिर्फ बताना है अपने आप का दुख।

एक रोज तसल्ली से बैठकर बताऊंगा मैं तुम्हे।

कितना परेशान किया था उसके जाने का दुख।

दरिया को कभी वहाब के साथ बहते देखे हो।

ऐसे ही बहता है आंखों से मेरे दिल का दुख।

इतने जख्म पे जख्म मिले हैं लोगो से मुझे कि

अब हर किसी से बस उम्मीद ही रखता हूं दुख।

एक बेटा अपने जीवन में सब कुछ सह लेता है।

नही सह पता वो कभी अपने मां बाप का दुख।

दुनिया देती है तमाम दुख बचपन से बुढ़ापे तक,

कोई इंसान नही लेकर आता मां के पेट से दुख।

बेटियां इसलिए भी जल्दी मान जाती है ब्याह को

मां बाप को उठाना न पड़े समाज के तानों का दुख

©Pyare ji
  #Alive 
#SAD #love #sorrow #Sorry  Kundan Dubey Anshu writer "सीमा"अमन सिंह The Shivam Pandey Madhusudan Shrivastava