अगर्चें हैं सुखनवर तो बहुत, बातें बनाने को .... लियाकत कैसे लाओगे जमाने को सुनाने को .... यहां मकबूल वो फाजिल,कलम जिन्दा रहे जिसकी, धड़कते लफ्ज़ भी तो चाहिएं दिल में समाने को ।। ©Mahesh Verma #vermaji #sukhanvar