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धर्म_ अर्थ_,काम_ मोक्ष {मोक्ष} ह्रदय

 धर्म_ अर्थ_,काम_ मोक्ष
{मोक्ष}
             ह्रदय से बारम्बार ॐ को प्रणाम करके मांगना है,      
   निरंतर चाहत करनी हे इसकी आपको।
 {काम }
‌    काम का वेग होने पर ॐ को प्रणाम करें व निरंतर
     काम के वेग के साथ ऐसे करते रहना है ।
हे -परमतत्व अंश।
{अर्थ}
उपर की दोनों क्रिया हद्रय में निरंतर हुई तो
  समझिए की आपको अर्थ ज्ञान का हुआ है ।
{धर्म}
 ऊपर के मोक्ष,काम और अर्थ की क्रियाओं को अपनी
      जीवनशेली में अपना लिया है तो इस जीवन में तो समझिए 
कि आप धार्मिक परमतत्त्व अंश हो गये हो।
{भावार्थ}
  इसी के साथ आपको अपने धर्म की भी पहचान हो गई है
 और उस पर चलना भी सीख लिया है ।
 ऊपर की समस्त क्रियाओं से
 आपको मोक्ष मार्ग की पहचान 
तो करवा दी गई है।
हे दोस्त इस  मार्ग की यात्रा को पुरी करना ।
  अब आप निर्भर  करता हैं। 
हे -परमतत्त्व अंश ।
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