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कभी चांद सी नज़ाकत हो तुम कभी ताबिश ए आफताब हो तुम

कभी चांद सी नज़ाकत हो तुम
कभी ताबिश ए आफताब हो तुम
कभी सादगी भरी अदा हो तुम
कभी शिद्दत भरा इरादा हो तुम
कभी मखमली ख्वाब हो तुम
कभी ख्यालों की हक़ीक़त हो तुम
कभी जिद्द भरी मौत हो तुम
कभी राहत का साहिल हो तुम
कभी लगता है सोच से परे हो तुम
पर जो भी हो मेरी जिंदगी हो तुम

©Lalit Saxena
  #आफताब
#जिंदगी