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क्या लिखूँ तुम्हें ओ हृदय प्रिये, उजली काया कंचन ल

क्या लिखूँ तुम्हें ओ हृदय प्रिये,
उजली काया कंचन लिख दूँ,

फूलों का पुष्पाहार लिखूँ,
या फूलों का उपवन लिख दूँ,

पुरवा की ठण्डी हवा लिखूँ,
या तूफाँ का मंजर लिख दूँ,

मधु लिखूँ तुम्हें मीठेपन सा,
या नशे की मधुशाला लिख दूँ,

नैनों को झील समान लिखूँ,
या अमृत का प्याला लिख दूँ,

क्या लिखूँ तुम्हें ओ हृदय प्रिये,
उजली काया कंचन लिख दूँ।

@निखिल क्या लिखूँ तुम्हें....
क्या लिखूँ तुम्हें ओ हृदय प्रिये,
उजली काया कंचन लिख दूँ,

फूलों का पुष्पाहार लिखूँ,
या फूलों का उपवन लिख दूँ,

पुरवा की ठण्डी हवा लिखूँ,
या तूफाँ का मंजर लिख दूँ,

मधु लिखूँ तुम्हें मीठेपन सा,
या नशे की मधुशाला लिख दूँ,

नैनों को झील समान लिखूँ,
या अमृत का प्याला लिख दूँ,

क्या लिखूँ तुम्हें ओ हृदय प्रिये,
उजली काया कंचन लिख दूँ।

@निखिल क्या लिखूँ तुम्हें....
nikhilkumar6445

Nikhil Kumar

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