मन बेहोश था शायद मेरा जो सब तुझसे कह देता था तू चाहे कितने झूठ कहे पर मन तब सब सह लेता था बातें तो अब भी करता हूँ पर मन बेहोश नही है दोष किसी को दूं भी कैसे मुझको खुद होश नहीं है । mujhe #hosh_ni_hain....