खौफनाक रात की एक अधूरी सी कहानी सुनाती हूं तुमको में अपनी जुबानी चले जा रहे थे हम काली रात में अकेले ही थे हम कोई नही था साथ में तभी लगा जैसे कोई, साथ साथ चल रहा सहम गए थे हम वही, मूड कर भी न देखा तेज कदमों से, सरपट हम चलते जा रहे थे सांय सायं सांसों की आवाज गूंज रही थी आखिर कौन है जो हमारे पीछे ऐसे लग गया था इंसान है या कोई रूह, जो जाता ही नही था तभी किसी ने कांधे पे, जैसे ही हाथ मेरे रखा उठ गई थी मैं नींद से, उफ्फ ये ख्वाब कैसा देखा ©Savita Nimesh #खौफनाक#रात #Anhoni