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ऐ ज़िंदगी मत ले अब इम्तेहान! उठता नहीं मेरा तुझपर

ऐ ज़िंदगी मत ले अब इम्तेहान!
उठता नहीं मेरा तुझपर से विश्वास!
सह लेती हूं हर दर्द, हूं मैं बहुत कठोर कर लेती बर्दाश्त
इतना ना मुझे तोड़, कि टूट जाए मेरे सब्र का बाँध!!  🎀 Challenge-408 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
ऐ ज़िंदगी मत ले अब इम्तेहान!
उठता नहीं मेरा तुझपर से विश्वास!
सह लेती हूं हर दर्द, हूं मैं बहुत कठोर कर लेती बर्दाश्त
इतना ना मुझे तोड़, कि टूट जाए मेरे सब्र का बाँध!!  🎀 Challenge-408 #collabwithकोराकाग़ज़

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nehapathak7952

Neha Pathak

New Creator