चाय कि प्याली के साथ, पलों में दीवाने हो गए, कुछ पल सुहाने बने, कुछ पल अफ़साने हो गए, तेरी हाथों के छुअन से, इक सिरहन से दौड़ी थी, उस सिरहन को दौड़े अब, बहुत से जमाने हो गए, तेज धूप जैसी तेरी यादें, दिल को जला जाती हैं, जलती धूप के मौसम भी, बादलों में सुहाने हो गए, हर शाम तरसती है, प्याली में तेरा चेहरा देखने को, तेरा चेहरा देखने के बहाने, कुछ पल बहाने हो गए, पल भर में दिए कि लौ, फड़फड़ाने लगी, तूफान में, कुछ दिए बुझ गए, कुछ शमा और परवाने हो गए !! सुप्रभात। चाय की प्याली के साथ, पल सुहाने हो गए... चाय कि प्याली के साथ, पलों में दीवाने हो गए, कुछ पल सुहाने बने, कुछ पल अफ़साने हो गए, तेरी हाथों के छुअन से, इक सिरहन से दौड़ी थी,