आँसुओं की ज़ुबाँ होती तो शायद दर्द-ए-सैलाब समझ पाते हमारे अपने, शायद गलत हम ही थे ज़माने के सामने दुखड़ा अपना रो दिये, यूँ इस कदर ख़ामोश रहकर हम अपनों की महफ़िल में बदनाम न हुए होते, चाहत थी सुकून से रहने की ग़र लफ्ज़ों के दायरे में बद्दुआ न पाते ज़माने की, माफ़ कर रब्बा हमें जो दिल किसी का दुखाया हमनें, आँसुओं के ज़ुबाँ #आँसुओंकीज़ुबाँ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #tarunasharma0004 #hindipoetry #trendingquotes #feelingshurt