इस दुनियाँ के भीड़ मे हम सब अंजान हैं, सबको पता है हम कुछ दिन के मेहमान हैं इस छोटी सी जिंदगी मे कुछ खोते हैं -कुछ पाते हैं, हस्ते हैं रोते हैं कुछ लेकर जाना नही होता उपर फिर क्यों, कुछ पैसों के लिए एक दूसरे के जान के दुश्मन होतें हैं? क्यों हम जात धर्म के बीज बोतें हैं? जब सूरज - चाँद, धरती - आसमान, सबके लिए है एकसमान फिर हम क्यों पूछते हैं, तु हिंदू हैं या मुसलमान? अगर विज्ञन कि मानें तो यह संसार न तो अल्लाह के मर्जी चलता है, न ही राम हर एक चीज के चलने का एक नियम है..... फिर क्यों जो किसान हमे दिन रात मेहनत करके अनाज देता है, उसकी अहमियत इतनी कम है?. .............. इस दुनियाँ के भीड़ मे हम सब अंजान हैं, सबको पता है हम कुछ दिन के मेहमान हैं इस छोटी सी जिंदगी मे कुछ खोते हैं -कुछ पाते हैं, हस्ते हैं रोते हैं कुछ लेकर जाना नही होता उपर फिर क्यों, कुछ पैसों के लिए एक दूसरे के जान के दुश्मन होतें हैं? क्यों हम जात धर्म के बीज बोतें हैं? जब सूरज - चाँद, धरती - आसमान, सबके लिए है एकसमान फिर हम क्यों पूछते हैं, तु हिंदू हैं या मुसलमान? अगर विज्ञन कि मानें तो यह संसार न तो अल्लाह के मर्जी चलता है, न ही राम