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साँसे थी मद्धम इनमे रवानगी न थी तुम मिले तो जाना ज़

साँसे थी मद्धम
इनमे रवानगी न थी
तुम मिले तो जाना
ज़िन्दगी मे ज़िंदगानी न थी,
कोरा था एहसास
कोई हसरत न थी
तुम मिले तो जाना
रूह मे कोई खुशबु न थी,
अब मिले जो तुम
तो दूर मुझसे जाना नहीं
तुमसे मिल के अब मैंने जाना
तुम्हारे बिना मेरा कोई वजूद नहीं..

©जागृती.. (जय पाठक)
  #वजूद