इतनी पत्थर दिल ना बनो प्रिये, कहीं लोग अहिल्या को ना भुलाने लगें। छोड़कर उसकी कथा और किस्से, लोग तेरे-मेरे किस्से ना सुनाने लगें।। ©डॉ. मनोज कुमार "मन"